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बिहार की सियासत में यादव ब्रिगेड का जलवा! इन टॉप 5 दमदार नेताओं की बोलती है तूती

बिहार की राजनीति में यादव जाति का जलवा किसी से छुपी नहीं है. चाहे सत्ता की बागडोर हो या विपक्ष की आवाज, यादव नेता हर दौर में मोर्चे पर मजबूती से डटे दिखाई देते हैं. वर्तमान में भी यादव नेता बिहार की राजनीति में काफी प्रभावी हैं. जानिए वो टॉप 5 यादव चेहरे, जिन्होंने बिहार की सियासत को नया मोड़ दिया और दशकों से उस पर काबिज हैं.

बिहार की सियासत में यादव ब्रिगेड का जलवा! इन टॉप 5 दमदार नेताओं की बोलती है तूती
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बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों की बड़ी भूमिका रही है, लेकिन जब बात यादव ब्रिगेड की होती है, तो यह एक ऐसा सामाजिक समूह है, जिसने लगातार सत्ता की चाबी संभाली है. चाहे लालू प्रसाद यादव हों या उनके राजनीतिक वारिस, इन नेताओं ने न केवल सामाजिक न्याय की बात की, बल्कि अपने दम पर प्रदेश की सियासत को भी झकझोर दिया. इससे पहले भी राम लखन यादव को शेर ए बिहार कहा जाता था. आइए, जानते हैं बिहार के वो टॉप 5 यादव नेता, जिनके बिना यहां की राजनीति अधूरी मानी जाती है.

1. लालू प्रसाद यादव

बिहार की राजनीति का पर्याय बन चुके लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संस्थापक और सामाजिक न्याय के सबसे बड़े पैरोकार माने जाते हैं. अपने निराले सियासी अंदाज के लिए काफी लोकप्रिय है. साल 1990 के दशक में उन्होंने मंडल राजनीति को धार दी और पिछड़े वर्गों को सत्ता का हिस्सा बनाया. मुख्यमंत्री से लेकर रेल मंत्री तक के पद पर रहे, लालू ने अपनी देसी छवि और जनता से सीधा जुड़ाव के कारण राजनीतिक जमीन पर लंबे समय तक पकड़ बनाए रखी. आज भी उनकी पकड़ बिहार की राजनीति और जनता पर बहुत ज्यादा है. चारा घोटाले जैसे मामलों के बावजूद, आज भी वे बिहार की राजनीति के सबसे प्रभावशाली नामों में गिने जाते हैं.

2. साधु यादव

अनिरुद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव, लालू प्रसाद यादव के रिश्तेदार हैं और एक समय RJD के प्रमुख के दाहिने हाथ माने जाते थे. हालांकि, बाद में राजनीतिक और पारिवारिक मतभेदों के चलते उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली. वर्तमान में वह बहुजन समाज पार्टी से जुड़े हैं. अपनी तीखी बयानबाजी और बागी तेवरों के लिए जाने जाने वाले साधु यादव का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. हालांकि, वे कभी भी लालू जैसे जनाधार नहीं बना सके, लेकिन वे यादव राजनीति के चर्चित नामों में गिने जाते हैं.

3. राम कृपाल यादव

कभी लालू यादव के बेहद करीबी रहे राम कृपाल यादव ने RJD में लंबी राजनीति की, लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर में 2014 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से मीसा भारती को हराकर उन्होंने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. वर्तमान में वे केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं और भाजपा में पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. राम कृपाल की छवि एक सुलझे हुए और जमीनी नेता की है, जो प्रशासनिक अनुभव और संगठनात्मक पकड़ दोनों रखते हैं.

4. पप्पू यादव (राजेश रंजन)

पप्पू यादव बिहार की राजनीति के फायरब्रांड नेता माने जाते हैं. उन्होंने कई बार पार्टी बदली लेकिन जनता के मुद्दों पर बेबाकी से बोलने की वजह से वे लगातार चर्चा में बने रहते हैं. पहले मधेपुरा और अब पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने जन अधिकार पार्टी बनाई और खुद को जन सरोकार वाली राजनीति से जोड़ा. कोविड काल में उनकी सक्रियता, एम्बुलेंस मुहैया कराने और जरूरतमंदों की मदद करने के कारण उन्होंने खुद को जनता के नेता के रूप में स्थापित किया. वर्तमान में उन्होंने अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय कर दिया. वह कांग्रेस से करीब जुड़े हैं. हालांकि, अभी उन्होंने कांग्रेस की स्थायी सदस्यता का एलान भी नहीं किया है, लेकिन वह बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने में लगे हैं. लालू विरोध के बावजूद राहुल गांधी उन्हें चाहते हैं और तवज्जो दे रहे है.

5. नित्यानंद राय

भारतीय जनता पार्टी के बड़े यादव चेहरे के रूप में उभरे नित्यानंद राय वर्तमान में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं. वे एक समय में बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. नित्यानंद राय की यादव समुदाय में पार्टी की पकड़ मजबूत करने और बीजेपी से जोड़ने में उनकी भूमिका अहम रही है. सधी हुई राजनीति, साफ-सुथरी छवि और सांगठनिक क्षमता के कारण उन्हें केंद्र में भी प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई. नित्यानंद राय, भाजपा के भीतर ओबीसी समीकरणों को साधने वाले बड़े नेताओं में शुमार हैं.



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